वाराणसी। वाराणसी के आसपास विंध्य क्षेत्र में ईकोटूरिज्म को प्रमोट करने हेतु उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को लखनऊ से वर्चुअल फ्लैग ऑफ कर शुभारंभ किया। जिस के क्रम में सारनाथ से 25 टूर गाइड, टूर ऑपरेटर, टूरिज्म मैनेजमेंट के बच्चों को लेकर बस चंद्रप्रभा को रवाना हुई। यह बस चंद्रप्रभा राजदरी, देवदरी व लतीफ शाह होकर वाराणसी वापस होगी। यह ड्राई रन है। इस तरह के 06 ट्रिप होंगी। इन ड्राईस टुरो में चुनार, विजयगढ़, नौगढ़, देवगढ़ आदि कबर होंगे।
इको- पर्यटन क्रियाकलापों के संबंध में दिया जाएगा विशिष्ट प्रशिक्षण%3A-
प्रभागीय वनाधिकारी महावीर ने बताया कि ईकोटूरिज्म के कार्यान्वयन रणनीति में संभावित परिस्थिति की पर्यटन स्थलों/क्षेत्रों की धारण क्षमता मूल्यांकन के अतिरिक्त क्षेत्रीय अधिकारियों को इको- पर्यटन क्रियाकलापों के संबंध में विशिष्ट प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही स्थानीय समुदाय में क्षमता विकास का चरणबद्ध ज्ञान इस प्रकार प्रदान किया जाएगा, जिससे कि वे प्रकृति-मार्गदर्शक के रुप में पूरी तरह उभर सके। उन्हें आतिथ्य सेवाओं की जानकारी भी दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को विकसित करने के उद्देश्य से गृहस्थी आधारित आदित्य उपक्रम को बढ़ावा देना रणनीति का मुख्य हिस्सा होगा। आगंतुकों को क्षेत्र विशेष में मौजूदगी के दौरान प्रकृति के संरक्षण के महत्व और अपेक्षित व्यवहारवादी पहल अपनाए जाने की प्रति भी संवेदनशील किया जाएगा। परिस्थितिकी उत्पाद एवं सेवाओं की जानकारी के साथ-साथ उससे मिलने वाले अमूर्त लाभो को भी उन्हें जानकारी दी जाएगी।
प्राकृतिक रूपरेखा परिस्थितिकी की अखंडता एवं भू-आकृति चिन्ह रहेंगे बरकरार%3A-
प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि वन एवं वन्य जीव क्षेत्रों की प्राकृतिक रूपरेखा परिस्थितिकी की अखंडता एवं भू-आकृति चिन्हों को हर हाल में बनाए रखा जाएगा। ईकोटूरिज्म के लिए न्यूनतम आवश्यक अधिसंरचना को इस प्रकार अभिकल्पित किया जाएगा, जिससे कि परिवेशीय पर्यावरण के साथ विलय हो सके। स्थानीय संसाधनों से ही उसका मूर्त रूप दिया जाएगा तथा सीमेंट आदि का उपयोग न्यूनतम स्तर पर रखा जाएगा। वन (संरक्षण) अधिनियम-1980 के प्रावधानों के उल्लंघन में कोई भी स्थाई निर्माण नहीं किया जाएगा। सिर्फ और सिर्फ अनुमन्य क्रियाकलापों को ही मूल्यवर्धित किया जाएगा।
जड़ी बूटियों, वनस्पतियों एवं वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध रहा है यह क्षेत्र%3A-
सैलानियों एवं वाहनों को इस प्रकार नियंत्रित किया जाएगा, जिससे कि उसका प्रतिकूल प्रभाव वन एवं वन्यजीवों के विकास पर न पड़े। संपूर्ण विद्यक्षेत्र अर्धशुष्क उषणकटिबंधीय पर्णपातीवनो के प्रतिनिधित्व को अपने अंदर समेटे हुए हैं। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों, वनस्पतियों एवं वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध रहा है। इन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों जैसे- अगरिया, बैगा, भुइया, चेरो, गोंड़, खरवार पनिका आदि की बाहुल्यता है। क्षेत्र विशेष में संस्थागत परिस्थितिकी पर्यटन के विकास से स्थानीय आदिवासियों/वनवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। उन्हें नेचर गाइड के रूप में प्रशिक्षित कर अर्थ तंत्र से जोड़ने का सतत प्रयास किया जाएगा, जिससे कि वे स्वावलंबी और उद्यमी होकर अपने जीवन स्तर को उन्नतसील कर सकें।
विन्ध्यन क्षेत्रों में भू-पर्यटक स्थलों की कोई कमी नहीं है। घाटियों और पहाड़ियों से घिरा हुआ यह क्षेत्र आनी अनोखी भौगोलिक कृतियों के लिए जाना जाता है। यहां के गार्ज, उदग्र क्लिफ, वाटर फॉल, जीवाश्म, चुआंण, विशाजकाय जलराशि, घास के मैदान आदि अनुपम दृश्य उत्पन्न करते हैं। भू आकृति आकर्षणों और स्थलो से जुड़ा यह पर्यटन क्षेत्र भू-विज्ञान के विकास की अपार संभावनाओं को भी अपने अंदर समेटे हुए हैं। इस प्रकार यह क्षेत्र जियोपार्क की स्थापना संबंधी अधिकांश शर्तो को पूरा करता है।
इस अवसर पर ए0पी0 सिन्हा जीएम उत्तर प्रदेश वन निगम प्रयागराज, प्रमोद गुप्ता वन संरक्षक वाराणसी, डीएफओ चंदौली, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव सहित भारी संख्या में टूर ऑपरेटर, टूर गाइड, होटलों के प्रतिनिधिगण, पर्यटन मैनेजमेंट के छात्र-छात्राएं प्रकृति प्रेमी आदि उपस्थित थे।
Posted On:Thursday, October 28, 2021